Sunday, June 2, 2013

देश रहे न रहे, क्रिकेट सलामत रहे

अपने फारुख अब्दुल्ला साहब का जवाब नहीं। क्या जबरदस्त आइडिया दी है। क्रिकेट में सट्टेबाजी को कानूनी मान्यता देकर वैधानिक बनाया जाए। वे केन्द्रीय मंत्री हैं, उन्हें देश की चिन्ता है। वे सही ही फरमाते हैं, जो रोका नहीं जा सकता उसे होने दिया जाए, उसी से मुनाफा भी कमाएं। सट्टे पर टैक्स लगाकर अरबों कमाए जा सकते हैं। जीडीपी को गति मिलेगी। अर्थव्यवस्था सुधरेगी। बेरोजगारों को काम मिलेगा। सब क्रिकेट की सट्टेबाजी में लग जाएंगे तो जाहिर है अपराध भी घटेगा। अपने प्रदेश में पटवा सरकार ने सरकारी लाटरी शुरू की थी। बड़ा जबरदस्त रिस्पांस मिला था। बाजार में सन्नाटा, दुकानें बंद, सुबह से लेकर रात तक लॉटरी। ओपन क्लोज के चक्कर में भूख प्यास बंद। अनाज व भोज्य पदार्थों की बिक्री व खपत कम हो गयी थी, और सबसे बड़ी बात की कई-कई थानों में अपराध निल हो गए थे। अपराधी भी लाटरी की टिकट बेचने-खरीदने में भिड़ गए थे। पटवा सरकार के समय तो समूचा रामराज ही उतर आया था मध्यप्रदेश में। सब तरफ एक ही भजन चलता था- सुबह लाटरी-शाम लाटरी, बोलो जयश्रीराम लाटरी। परिवार नियोजन ने जनसंख्या को जितना नियोजित नहीं किया उससे कारगर सरकारी लाटरी निकली। हर शहर-कस्बे गांव से खबरें आने लगी कि कहां कितने मरे। कुछ दिन बाद अखबारों में सिर्फ मौतों के अंक छपने लगे। मसलन- भोपाल-१0, उज्जैन १२, जबलपुर १६। लोग अखबारों में सुबह इन्हीं अंकों को लकी मानकर लाटरी का नंबर लगाते, और नम्बर लगाने वालों में से कई दूसरे दिन औरों के लिए लकी नम्बर बन जाते।
सो इन अनुभवों को ध्यान में रखते हुए फारूख अब्दुल्ला का यह गुडआइडिया है।  इससे कश्मीर समस्या का भी हल निकल सकता है। सभी आतंकवादी क्रिकेट के सट्टे में भिड़ जाएंगे। सेना-पुलिस भी बैरकों में क्रिकेट देखेगी और महीने में जो पगार मिलेगी उससे सट्टे खेलेगी। कश्मीर की वादियों में ट्यूलिप के फूल चहकेंगे और डल झील में शिकारों का आनंद लेते हुए पर्यटक भी क्रिकेट की सट्टेबाजी करेंगे। कश्मीर का पर्यटन विभाग, पर्यटन के साथ क्रिकेट के सट्टे का स्पेशल पैकेज देगा। दिल्ली में रेप की घटनाओं पर भी लगाम लगेगी। क्योंकि सभी लोफर क्रिकेट की सट्टेबाजी में भिड़े रहा करेंगे। क्रिकेट के सट्टे की बयार जंगलों तक पहुंचेगी। माओवादी बंदूकें धरकर नेट प्रैक्टिस करेंगे और अपनी वॉकी-टॉकी से सट्टे का उतार-चढ़ाव, नम्बर-सम्बर पूछा करेंगे। नेता व्यर्थ में नहीं मारे जाएंगे। नेतागण माओवादियों से एक दूसरे को मरवाने का आरोप नहीं गढ़ सकेंगे, लिहाजा अपनी राजनीति की गंगा भी गटर बनने से बच जाएगी।
कहते हैं प्यार-युद्ध और बाजार में सब जायज है। क्रिकेट प्यार का प्लेटफार्म है। क्रिकेट प्यार से लवा-लव है। आज से नहीं नवाब पटौदी के जमाने से। कहते हैं छक्के की शर्त पर शर्मिला टैगोर पटौदी को दिल दे बैठीं। रंगभेद को धोते हुए अभिनेत्री नीना गुप्ता विवियन रिटर्ड की बिनब्याही मिस्ट्रेस बन गईं। रीना राय को मोहसिन खान भा गया। अब क्रिकेट में प्यार ले-प्यार दे चल रहा है। क्रिकेट युद्ध भी है। बीसीसीआई में युद्ध चल रहा है। श्रीनिवासन् का तख्त पलटाने में सभी महारथी लगे हैं। श्रीनिवासन् है कि इन्डिया सीमेंट के मजबूत पलस्तर के साथ कुर्सी में चिपके हैं। ललित मोदी बगुले की भांति अवसर की मछली ताके बैठे हैं। मेरठ के मुफस्सिल पत्रकार राजीव शुक्ला को क्रिकेट ने ही फर्श से अर्श तक चढ़ाया। आज वे सत्ता और क्रिकेट की सेतु बनाने के मामले में शरद पवार के बाद दूसरे बड़े शिल्पी हैं। क्रिकेट का बाजार भी जबरदस्त है। जितना एक नम्बर का उससे कई गुना दो नम्बर का। जितना ऊपर ओपन वल्र्ड में उससे ज्यादा गहरा अन्डरवल्र्ड में। क्रिकेट ने ही पहली बार आदमी की कीमत तय की। पहले रेस के घोड़े नीलाम होते थे अब क्रिकेटर नीलाम होते हैं। उद्योगपति धंधा चलाता है उद्योगपत्नियां क्रिकेट चलाती हैं। क्रिकेट नहीं होता तो इन पत्नियों के पास किटी-पार्टी में रम्मी खेलते-खेलते ऊबने के बाद हिन्दमहासागर में कूदने के अलावा कोई विकल्प ही नहीं था। क्रिकेट के सट्टाबाजार ने इनके जीने की जिजीविषा को बनाए रखा। क्रिकेट में खेल मत देखिए, क्रिकेट का खेल देखिए। इससे होने वाले वारे-न्यारे देखिए। क्रिकेटर के रूप में चलता फिरता बाजार देखिए। मॉडल देखिए-मोहरा देखिए, चेहरा मत देखिए। चेहरे में क्या धरा है, मलिंगा, क्रिश गेल के आगे खूबसूरत चेहरा भी फेल। क्रिकेट हमारा धर्म है। क्रिकेट देश की धड़कन है, मर्म है। क्रिकेट पर लांछन लगाने वाला अधर्मी और काफिर है। अपन अधर्मी नहीं बनना चाहते सो देश रहे न रहे, देश का क्रिकेट सलामत रहे। http://starsamachar.com/Details.aspx

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