Tuesday, December 13, 2011

मैं अन्ना हूं

मैं ओम, निःश्रेयस, अभ्युदय हूं 
मैं सूर्य हूं, मैं ही उदय हूं
मैं शिवाजी की तलवार हूं
मंच पे सवार हूं
गांधी का लंगोट हूं
मैं आर्मी का फटा हुआ कोट हूं
मैं 121 करोड़ का ठेकेदार हूं,
मैं भले ही एक वोट हूं
मैं मिथ्या का श्रम हूं
मैं गांधी आश्रम हूं,
मैं शराब के खिलाफ हूं
पर नशे में हूँ, भ्रम हूं
मैं समाजसेवियों का सिकंदर हूं
मैं बेड़ों के लिए पोरबंदर हूं
मैं एक गांव का हेडमास्टर हूं
मैं पैर का कटा हुआ प्लास्टर हूं
काला जूता हूं, सफेद मोजा हूं
मैं ही व्रत हूं, मैं ही रोज़ा हूं
मैं ब्रह्मचर्य की मूर्ति हूं
मैं वीर्यवान हूं, स्फूर्ति हूं
मैं ही दिया हूं, मैं ही बाती हूं
मैं योग हूं, कपालभाती हूं
मैं मध्यवर्ग का बवाल हूं
मैं किरण हूं, केजरीवाल हूं
मैं यूपीए की पीड़ा हूं
मैं बीजेपी की ढाल हूं
मैं दिग्विजय का दुस्वपन हूं
शरद पवार का गाल हूं.
मैं राहुल के लिए गांधी हूं
मैं गांव फूंक चली आंधी हूं
मैं राम हूं, लंका कांड हूं
मैं इंडिया का लेटेस्ट ब्रांड हूं
मैं अपने मद में चूर हूं
मैं मरे किसानों से दूर हूं
मैं राज ठाकरे का दोस्त हूं
मैं महाराष्ट्र का नूर हूं
मैं एरोम को अभी तक नहीं जानता
मैं एएफएसपीए को सही मानता
मैं मीडिया का मैनेजमेंट हूं
मैं आईएसी प्रेसिडेंट हूं
मैं भीड़ की हरियाली में अंधा हूं
मैं टोपियों का, तिरंगों का धंधा हूं
मैं राष्ट्रवाद की अफीम हूं
मैं ही फांसी का फंदा हूं
मैं अनुशासन का टोप हूं
मैं वेटिकन का पोप हूं
मैं मिसगाइडेड मिसाइल हूं
मैं एटम बम हूं, तोप हूं
मैं व्यापारी का दोस्त हूं
मैं मिडिल क्लास का टोस्ट हूं
मैं पेप्सी हूं, मैं कोला हूं
मैं अल्ट्रा व्हाइट लैम्प पोस्ट हूं
मैं भारत मां का बेटा हूं
मैं मंच पे आकर लेटा हूं
मैं पंचवटी का डमरू हूं
मैं लैपटॉप हूं, डेटा हूं
मैं बेदी हूं, मैं शर्मा हूं
चोपड़ा, कपूर हूं, खन्ना हूं
मैं झाड़ी हूं, झड़बरी हूं
मैं बांस हूं, मैं गन्ना हूं
मैं अन्ना हूं
पाणिनि आनंद
12 दिसंबर, 2011.

4 comments:

  1. मैं एरोम को अभी तक नहीं जानता
    मैं एएफएसपीए को सही मानता
    मैं मीडिया का मैनेजमेंट हूं
    मैं आईएसी प्रेसिडेंट हूं
    मैं भीड़ की हरियाली में अंधा हूं
    मैं टोपियों का, तिरंगों का धंधा हूं
    मैं राष्ट्रवाद की अफीम हूं
    मैं ही फांसी का फंदा हूं
    बहुत सुन्दर कविता है जयराम जी. आभार पडहवाने के लिये.

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